महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (12 फरवरी 1824 - 30 अक्तूबर 1883) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। उनका बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने ने 1875 में एक महान आर्य सुधारक संगठन - आर्य समाज की स्थापना की। उन्हों ने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। स्वामीजी ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। स्वामी दयानन्द द्वारा लिखी गयी महत्त्वपूर्ण रचनाएं - सत्यार्थप्रकाश (1874 संस्कृत), पाखण्ड खण्डन (1866), वेद भाष्य भूमिका (1876), ऋग्वेद भाष्य (1877), अद्वैतमत का खण्डन (1873), पंचमहायज्ञ विधि (1875), वल्लभाचार्य मत का खण्डन (1875) आदि।
आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हे शत शत नमन करते हैं।
आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हे शत शत नमन करते हैं।
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